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DEEPAWALI PUJAN KI SARAL VIDHI

By Pandit Mukesh Shastri on 1 January 1970

DEEPAWALI PUJAN KI SARAL VIDHI

दीपावली पर माँ लक्ष्मी पूजन की सरल विधि   .....

दीपावली के दिन शुभ मुहूर्त में घर में या दुकान में, पूजा घर मे उत्तर दिशा की तरफ मुख करके बैठ जाये .पूजन के लिये दिन के समय पूर्व की तरफ और रात के समय उत्तर दिशा की और मुख करके बैठना चाहिए ।  उत्तर दिशा की तरफ मुख गर्म कपड़े से बने आसन पर बैठ जाये और आचमन और प्राणायाम करके अपने सम्मुख एक चौकी या बजोट रख कर उस पर लाल वस्त्र बिछाकर केसर से स्वस्तिक बना दे |  हल्दी पाउडर से रंगे पीले चावलों से अष्टदल बनाकर उसपर भगवन गणेश जी की सोने या चांदी की प्रतिमा या मनमोहक तस्वीर की स्थापना कर दे |  भगवान गणेश जी के दाहिने तरफ माँ लक्ष्मी जी की सोने की या चांदी की मूर्ति या मनमोहक चित्र स्थापित करें दे | चित्र को पुष्पमाला पहनाएं। श्री महालक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर के पास ही किसी पवित्र पात्र में केसर युक्त चन्दन से अष्टदल कमल बनाकर उस पर द्रव्य-लक्ष्मी अर्थात रुपयों को भी स्थापित कर दे , ध्यान रखे की माँलक्ष्मी की पूजा के साथ द्रव्य लक्ष्मी की पूजा भी एक साथ करनी चाहिये।एक पात्र मे 5 हल्दी की गाठे , साबुत धनिया ,कमल गट्टा , अक्षत,दूर्वा और कुछ द्रव रख कर उसके चौकी पर रख दे.इसके पश्चात धूप, अगरबती और 5 दीप शुध्द घी के और अन्य दीप तिल के तेलसे प्रज्वलित करें। जल से भरा कलश भी चौकी पर रखें। कलश में मौली बांधकर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह अंकित करें। तत्पश्चात श्री गणेश जी को, फिर उसकेबाद माँ लक्ष्मी जी को तिलक करें और पुष्प अर्पित करें। इसके पश्चात हाथ में पुष्प, अक्षत, सुपारी, सिक्का और जल लेकर भगवान गणेश जी, महालक्ष्मी और कुबेर देव सहित सभी देवी देवताओ की पूजा का संकल्प करें। उनका आवहान करे. भगवान गणेश जी और माँ लक्ष्मी की प्रतिमा की प्रतिष्ठाकर उनका षोडशोपचार पूजन करे उसके पश्चात नवग्रह पूजन , षोडश मातृका और कलश पूजन करके प्रधान पूजा मे माँ लक्ष्मी का पूजन करे .धुप, दीप , नैवैध अर्पण करे. पान सुपारी दक्षिणा आदि अर्पण करे.

इसके पश्चात आप तिल्ली के तेल मे या शुद्ध घी मे सिंदूर मिलकर आप अपने घर के मुख्यद्वार पर और अपने व्यापार स्थल के बाहर ॐ श्री गणेशाय नम: , स्वस्तिक का चिन्ह , शुभ लाभ आदि लिखे और उनकी ॐ देहली विनायकाय नम: मन्त्र से  गंध, पुष्पादी से पूजन करे.

इसी प्रकार अब आप स्याही युक्त दवांत की पूजा करे.उस पर केसर से स्वस्तिक बना दे और उसपर मोली लपेट दे . ॐ श्री महाकाल्यै  नम: से गंध, पुष्पादी से पूजन करे.

अब आप लेखनी पूजन करे अर्थात आप लिखने के पेन इत्यादि पर मोली बाँध कर ॐ लेखनी स्थाये देव्ये नम: मन्त्र से गंध  , पुष्पादी से पूजन करे.

अब आप अपने बही खातो की पूजा करे. उसमे केसर से स्वस्तिक बनाये और ॐ श्री सरस्वत्यै  नम: मन्त्र से गंध, पुष्पादी से पूजा करे.

 इसके बाद आप अपनी तिजोरी की की पूजा करे. तिजोरी मे केसर से स्वस्तिक काचिन्ह बना कर भगवान कुबेर का आव्हान करे और ॐ कुबेराय नम :मन्त्र  से गंध, पुष्पादी से पूजन करे. धुप दीप और नैवैध अर्पण करे . और पूजा मे राखी हुई 5 हल्दी की गाठे, साबुत धनिया, कमल गट्टा इत्यादि अपनी तिजोरी मे रख दे .
इसी प्रकार गंध, पुष्पादी से तुला पूजन करे.इसके बाद दीपमालिका पूजन करे . इसके लिए किसी पात्र में 11, 21 या उससे अधिक दीपों को प्रज्वलित कर महालक्ष्मी के समीप रखकर उस दीप-ज्योति का “ॐ  दीपावल्यै नमः” मंत्र से गन्धादि उपचारों द्वारा दीपक का पूजन करे |

दीपमालिकाओं का पूजन कर अपने आचार के अनुसार संतरा, ईख, पानीफल, धानका लावा इत्यादि पदार्थ चढाये। धानका लावा (खील) भगवान श्री गणेश को , श्री महालक्ष्मी को, कुबेर देवता को  तथा अन्य सभी देवी देवताओं को भी अर्पित करे। अन्तमें अन्य सभी दीपकों को प्रज्वलित कर सम्पूर्ण गृह को दीपकों अलन्कृइत करे।अब आप भगवान श्री गणेश , माता श्री महा लक्ष्मी और भगवान जगदीश्वर की आरती पूरे परिवार सहित करें। उसके बाद अपनी मनोकामना का ध्यान करते हुए , अपनी दरिद्रता को दूर करने की प्रार्थना करते हुए पुष्पान्जलि अर्पित करें, क्षमा  प्रार्थना करें। और अपने धन मे वृद्धि,अन्न मे वृद्धि , वंश मे वृद्धि, सुख-ऐश्वेर्य मे वृद्धि की मंगल कामना करे.पूजन के अन्त में हाथमें अक्षत लेकर नूतन गणेश एवं महा लक्ष्मी की  प्रतिमा को छोडकर अन्य सभी आवाहित, प्रतिष्ठित एवं पूजित देवताओं को अक्षत छोडते हुए विसर्जित करे| ध्यान रखे की दीपावली की रात को मंदिर, तुलसी माता, पीपल आदि के पास दीपक जलाना सभी संकटों से मुक्ति दिलाता है और महा लक्ष्मी पूजा में तिल का तेल का उपयोग ही श्रेष्ठ होता  है | अभाव में सरसों का इस्तमाल कर सकते है |


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